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PROFESSIONAL ASTROLOGY CONSULATANT

जन्म कुंडली

Prediction

ग्रहाधीनं जगत्सर्वं ग्रहाधीनाः नरावराः । कालज्ञानं ग्रहाधीनं ग्रहाः कर्मफलप्रदाः ॥

ज्योतिष भविष्य में होने वाली अनुमानित घटनाओं के प्रति सचेत करके कठिनाइयों में भी सुखमय जीवन जीना सिखाता हैं

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ज्योतिष का महत्त्व और इसकी आवश्यकता

वैसे तो मानव जीवन में ज्योतिष प्रतिदिन के विभिन्न क्रियाकलापों में उपयोगी होता है, लेकिन फिर भी प्राचीन काल और वर्तमान समय में ज्योतिष के विभिन्न उपयोग इस प्रकार कहे जा सकते हैं

मनुष्य के समस्त कार्य ज्योतिष के द्वारा ही चलते हैं मानव के शारीरिक गठन, रूप-रंग और स्वास्थ्य आदि की जानकारी के अलावा उसकी शिक्षा, व्यवसाय, सरकारी या प्राइवेट नौकरी, अर्जित धन, रोग, शत्रु, ऋण, विवाह का समय, पति या पत्नी का स्वभाव, दांपत्य जीवन, संतान, माता-पिता एवं अन्य परिजनों से उसके संबंध, जमीन, जायदाद, घर, लाभ- हानि, यश, सम्मान, कारावास या बंधन, विदेश यात्रा आदि की शुभ- अशुभ स्थिति एवं घटना के समय की जानकारी उसकी जन्म कुण्डली के आधार पर मिल सकती है।

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वास्‍तु दोष और निवारण

वास्‍तु दोष के कई कारण होते हैं। ये किसी भी वजह से हो सकता है। अपने आस पास की भूमि के दोषों, वातावरण के साथ सामंजस्य की कमी, मकान की बनावट के दोषों, घरेलू उपकरणों को गलत जगह रखे होने आदि से उत्पन्न होते हैं। हमारा शरीर और समस्त ब्रह्माण्ड पंच महाभूतों से मिल कर बना है। महाभूतों , दिशाओं, प्राकृतिक ऊर्जाओं के तारतम्य से भवन का निर्माण होने पर जीवन में शुभता आती है और जीवन में सभी प्रकार से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। पंचभूतों के सही समायोजन के अनुसार, दिशाओं के वास्तुनियमों के अनुसार भवन का निर्माण हमारे जीवन को, हमारे विचारों की दिशा, हमारी जीवन पद्धति और स्वास्थ्य आदि सभी भावों को पूर्णतया प्रभावित करते हैं। हम आपको बता रहे हैं वास्‍तु दोष के मुख्‍य कारण और उसके उपाय। पढ़ें और जानें...
मकान कैसी भूमि पर स्थित है ?
मकान जिस भूमि पर स्थित है, उसका आकार क्या है ?
भवन में कमरों, खिड़कियों, स्तम्भों, जल निकास व्यवस्था, मल के निकास की व्यवस्था, प्रवेश द्वार, मुख्य द्वार आदि का संयोजन किस प्रकार का है ?
भवन में प्रकाश, वायु और विद्युत चुम्कीय तरंगों के प्रवेश और निकास की क्या व्यवस्था है ?
भवन के चारों ओर अन्य इमारतें किस प्रकार बनी हुई हैं ?
भवन के किस हिस्से में परिवार का कौन सा व्यक्ति रहता है ?
भवन में किस दिशा में निर्माण सबसे भारी और किस दिशा में हल्का है ?
भवन की कौनसी दिशा ऊँची है और कौनसी नीची ?
भवन में किस दिशा में खुला स्थान है ?
इस प्रकार की सभी बातें घर के वास्तु को प्रभावित करती हैं। वास्तुशास्त्र में इन सब बातों के लिए नियम बनाए गए हैं, इनमें रहे दोष ही वास्तु दोष कहलाते हैं। भवन निर्माण में रहे वास्तु दोष जीवन में गंभीर दुष्परिणाम देते हैं।
इस प्रकार भवन से जुड़ी हर गतिविधि का प्रभाव भवन में रहने वाले व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। इन्हीं सब व्यवस्थाओं पर जीवन निर्भर होने के कारण जीवन का हर पहलू वास्तु संबंधी कारणों से जुड़ा होता है। जीवन का हर पहलू इनसे कभी अछूता नहीं रह पाता।
भवन के निर्माण और उपयोग में रहे दोषों को ही
वास्तुदोष कहा जाता है। भवन के निर्माण से पहले वास्तु पुरुष की पूजा आवयश्क रूप से की जाती है, ताकि भवन के निर्माण में रही खामियों से भवन और भवन में रहने वाले लागों के जीवन को वास्तु दोष के प्रभावों से मुक्त रखा जा सके।

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